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पैसों के साथ स्वस्थ रिश्ता बनाने के 7 आसान और प्रभावी तरीके

दैनिक आदतों और सरल बजट रणनीतियों से आर्थिक तनाव घटाकर बचत, निवेश और वित्तीय स्वतंत्रता की ओर बढ़ें

खर्चों का स्पष्ट खाका बनाएं

सबसे पहले अपनी आय और महीने के खर्चों का एक आसान सा हिसाब रखें। नेट बैंकिंग स्टेटमेंट, UPI ट्रांज़ैक्शन और नकद खर्च एक साथ जोड़ें ताकि पता चले पैसे कहाँ जा रहे हैं।

बजट बनाना भारी नहीं होना चाहिए, सिर्फ तीन कॉलम बनाएं: जरूरी, मनोरंजन और बचत। जब हर खर्च स्पष्ट होता है तो अनावश्यक खरीद पर खुद ब खुद रोक लगती है और वित्तीय तनाव कम होता है।

नजरिए और आदतें बदलें

पैसे के साथ हमारा रिश्ता भावनाओं से जुड़ा होता है। खरीदारी का मन होने पर आठ घंटे का नियम अपनाइए: रात भर सोइए, फिर सोचिए। इससे इम्पल्स बायिंग कम होती है और निर्णय बेहतर बनते हैं।

खुशी और शान को खर्च के पैमाने पर न परखें। छोटे-छोटे तरीके अपनाइए—खुशियों के लिए अनुभव चुनें न कि सिर्फ सामान। यह धीरे-धीरे आपकी वित्तीय प्राथमिकताएं बदल देगा।

स्मार्ट बचत और आपातकालीन कोष तैयार करें

आपातकालीन फंड बनाना जरूरी है। साधारण नियम छह महीने के खर्च जितना रखें, और शुरुआत नकद या सेफ बैंक एफडी से कर सकते हैं। यह आपको अचानक समस्याओं में कर्ज लेने से बचाएगा।

आटोमैटिक बचत बहुत कारगर है। सैलेरी मिलने के साथ ही SIP और फिक्स्ड डिपॉजिट ऑटो-ड्रॉप करवाइए, इससे मन नहीं भटकता और बचत नियमित होती है।

निवेश और लगातार सीखते रहना

बचत का असली फायदा निवेश से मिलता है। छोटे-छोटे SIP से शुरू करें, PPF और EPF पर ध्यान रखें और समय के साथ म्यूचुअल फंड के जरिए पोर्टफोलियो बनाएं। जोखिम को समझकर विभाजन कीजिए।

वित्तीय साक्षरता रोज़ बढ़ाइये—पॉडकास्ट सुनिए, लोकल बैंक से सलाह लीजिए या फाइनैंस ब्लॉग पढ़िए। जब जानकारी बढ़ेगी तब भावुक फैसले कम होंगे और पैसा आपके लिए काम करेगा।